देवी राधा रानी की सच्ची कहानी | जानिए कैसे खुद राधा रानी चली आई एक सेठ की बेटी बनकर | ??

rada rani or krishna

देवी राधा रानी की सच्ची कहानी | जानिए कैसे खुद  राधा रानी चली  आई एक सेठ की बेटी बनकर | 

दोस्तों इस कहानी में हम बात करेंगे कि किस तरह जब हम सच्चे मन से भगवान को पुकारते हैं तो वह दौड़े चले आते हैं और हमारी पुकार जरूर सुनते हैं दोस्तों भगवान को भी अपने एक सच्चे भक्तों की उतनी ही जरूरत होती है जितनी हमें भगवान की
 तो आज मैं आपको बताऊंगी कि अगर आपके जीवन में किसी चीज का अभाव है तो उसकी जगह भगवान का भाव प्रकट करके आप जीवन से उसकी  कमी दूर कर सकते है और आपकी परेशानी बहुत जल्दी माफ हो जाएगी तो दोस्तों आज हम बात करते हैं कि किस तरह बरसाना गांव में एक सेठ की पुत्री बनकर खुद राधा रानी आई|
दोस्तों एक बार की बात है बरसाना गांव में एक सेठ रहता था जो बहुत धनी था उसके 3 पुत्र थे परंतु उसकी कोई पुत्री नहीं थी, कुछ समय पश्चात उसकी पत्नी का देहांत हो गया और सभी पुत्रो  की शादी हो गई सभी पुत्र अपने अपने कार्य में व्यस्त रहने लगे, अपने बच्चों में ,अपने पत्नी के साथ  सेठ के दिल की बात सुनने वाला कोई नहीं था, सेठ को शुरू से ही इस बात का बहुत दुख था कि उसकी कोई पुत्री नहीं है लेकिन अब उसकी पत्नी की मृत्यु के बाद उसको यह दुख और सताने लगा और वह इस बात को लेकर परेशान रहने लगा कि उसकी कोई पुत्री नहीं है एक दिन एक महान पंडित उसके घर पर आए और उसे दुखी देकर उसने पूछा कि तुम्हें किस बात की परेशानी है तुम क्यों दुखी हो तो उसने अपना दुख का कारण पंडित को बताया कि कोई मेरी पुत्री नहीं है इस वजह से मुझे अपने जीवन में यह अभाव  रहता है कि मेरी कोई पुत्री क्यों नहीं है तो वह पंडित उसको कहता है लोग यह भी कोई परेशानी की बात है तुम  राधा रानी को अपनी बेटी मान लो, हमारे जीवन में  जिस चीज की कमी होती है उसको भगवान ही पूरा कर सकते हैं परेशान होने से क्या होगा तुम राधा रानी को अपनी बेटी मानो और उससे अपने दिल की बात किया करो देखना तुम्हें यह अभाव कभी नहीं सताएगा सेठ को पंडित की यह बात अच्छी लगती है और वह ऐसा ही करता है राधा रानी की मूर्ति लेकर आता है और प्रतिदिन भोजन करने से पहले राधा रानी को भोग  लगाता है  फिर स्वयं भोजन करता है, और सोने से पहले राधा रानी के साथ खूब बातचीत करता है ऐसे ही करते करते वह दिल से राधा रानी को अपनी बेटी मानने लगा और वह भूल ही गया कि उसकी कोई  बेटी नहीं है उसे  इस बात का आभास होने लगा कि उसकी पुत्री सच में है और वह बहुत दिल से उसे अपनी पुत्री मानने लगा जब तक वह बात ना करता उसे भोजन ना खिलाता उसका मन नहीं लगता और जब वह बात करता तो उसके मन को बहुत संतुष्टि मिलती जैसे उसे पता नहीं क्या मिल गया हो, तो दोस्तों एक दिन सेठ के घर पर एक चूड़ी बेचने वाली मनहारण आती थी और वह उसकी बहूओ  को चूड़ियां पहना कर जाती थी एक दिन वह चूड़ी बेचने घर पर आई और उसने सेठ के बेटे  की तीनो बहुओं को चूड़ी पहनाई उसके साथ जब सेठ की बहूए  चूड़ी पहन कर चली गई तो उसके सामने एक हो और कन्या आई और उसने कहा कि मुझे भी चूड़ियां पहन दो , चूड़ी वाली ने सोचा कि शायद सेठ के घर पर कोई मेहमान आई है तो उसने उसको भी चूड़ी पहना दी उसके बाद वह चूड़ी वाली सेठ से पैसे मांगने सेठ की दुकान पर पहुंची  और बोली की चूड़ी के पैसे दे दो और उसने पहले से अधिक पैसे मांगे तो सेठ ने कहा कि तुमने चूड़ी का दाम बढ़ा दिया है क्या
तो उसने कहा नहीं मैंने चूड़ी का दाम तो नहीं बढ़ाया परंतु आज मैं 4 को चूड़ी पहना कर आई हूं उसने कहा मेरे घर पर तो 3 ही बहुए  है  तो उसने कहा नहीं मैंने आज चार को चूड़ी पहनाई है सेठ ने  कहा कि  तुमसे कोई गलती हुई है मेरे घर पर तो चूड़ी पहनने के लिए मेरी सिर्फ तीन बहु  है तो उसने तीन के पैसे चूड़ी वाली को दे दिए और चूड़ी वाली भी बिना कुछ कहे पैसे लेकर अपने घर चली गई रात को सेठ  घर आया और हमेशा कि तरह  राधा रानी को भोग  लगा कर और खूब सारी बातें कर  सो गया उस दिन रात को सेठ के सपने में राधा रानी आई और कहने लगी बाबा तुमने चूड़ी वाले को मेरी चूड़ी के पैसे क्यों नहीं दिए जब तुम मुझे अपनी बेटी मानते हो तो तुमने  मेरी चूड़ी के पैसे क्यों नहीं दिए और ऐसा कह कर एक लाडली बेटी की तरह रोने लगी यह सब देख कर सेठ  की आंख खुल गई और वह भी रोने लगा जब सुबह हुई तो वह चूड़ी वाली के घर गया और बहुत सारी स्वर्ण मुद्राएं उसके पैरों में रख दी और उसने बताया कि तुम कल सच बोल रही थी तुमने कल 4 को ही चूड़ी पहनाई थी मैंने राधा रानी को अपनी बेटी माना है तुम बहुत भाग्यशाली हो जिसको राधा रानी के दर्शन हुए हैं मैं इतने दिनों से उनके दर्शन को तड़प रहा हूं और तुमने एक बार में ही उनके दर्शन कर लिए यह बोलकर रोने लगा और बोला कि तुम्हें चूड़ी का जो भी दाम चाहिए मुझ से मांग लो यह सुनकर मनहारण  के आंखों में भी आंसू आ गए और उसने मन में सोचा जब मुझे खुद राधा रानी के ही दर्शन हो गए हैं तो इसके इससे ज्यादा मुझे और क्या चाहिए और उसने सेठ के सामने हाथ जोड़कर कहा कि तुम्हारी वजह से मुझे राधा रानी के दर्शन हुए हैं जिससे मेरा यह जीवन सफल हो गया मुझे कुछ नहीं चाहिए तो दोस्तों देखा कि जब हम भगवान को दिल से पुकारते हैं उनकी पूजा अर्चना करते हैं तो वह कैसे हमारे पास दौड़े चले आते आशा करती हूं आपको यह कहानी बहुत अच्छी लगी होगी और आप भी अगर किसी वस्तु को लेकर परेशान हैं तो भगवान से प्रार्थना कर सकते हैं वह आपकी प्रार्थना जरूर सुनेगा , अगर यह कहानी  आपको अच्छी लगी  हो तो नीचे कमेंट बॉक्स में जरूर बताना|
धन्यवाद| 

Comments

  1. Jai shree radhe 🙏

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  2. राधे राधे

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  3. नमस्ते https://www.facebook.com/yogesh.prajapat.9406 एक बार फेसबुक पर संपर्क करना

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  4. श्री जी लाडली राधारानी की जय

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  5. Radhey Radhey 🙏🪈🪈🪈

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  6. Jai ho radha rani ki

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  7. Radhe Radhe Ji

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