इस कहानी को पढ़ने के बाद आप किसी को कभी भी धोखा नहीं देंगे (1 सच्ची कहानी )


 इस कहानी को पढ़ने के बाद आप किसी को कभी भी धोखा नहीं देंगे (1 सच्ची कहानी )


हेलो दोस्तों आज हम एक कहानी में आपको बताएंगे कि किस तरह बुरे कर्मों का फल हमेशा बुरा ही मिलता है और यह तो सभी जानते हैं कि अगर हम बबूल बोलेंगे तो हमें कांटे ही मिलेंगे फूल नहीं आज की बताई हुई यह घटना यह कहानी आपका जीवन बदल देगी बात आज से लगभग 300 साल पहले की है एक बार दो मित्र हुआ करते थे जिसमें से एक का नाम मदन और दूसरे का नाम रतन था उनकी बहुत अच्छी दोस्ती थी अपनी दोस्ती के चलते उन दोनों ने आपस में एक दूसरे के साथ व्यापार करने की सोची फिर दोनों साथ में व्यापार करने लगे व्यापार में जो भी फायदा होता था उसको वह दोनों आधा-आधा बांट लेते थे ऐसा करते-करते कुछ साल बीत गए और व्यापार भी दिनों दिन बढ़ता ही गया एक दिन ऐसा आया जिस दिन उन्हें व्यापार में बहुत भारी फायदा हुआ और वह मालामाल हो गए पहले तो यह जानकर वे दोनों बहुत खुश हुए किंतु रतन के मन में लालच आ गया तो वह सोचने लगा अगर यह पूरा धन मुझे मिल जाए तो मुझे पूरी उम्र कमाने की जरूरत नहीं पड़ेगी और अपना जीवन में एक राजा की तरह जी सकूंगा तो उसके मन में लालच आ गया और दोस्तों आपको तो पता ही है कि लालच में आदमी कुछ भी कर जाता है तो उसने अपने मित्र को दूध में जहर देकर मार दिया अब रतन शाही जीवन जीने लगा उसके बाद कुछ दिनों बाद उसके घर में एक पुत्र ने जन्म लिया जैसे जैसे उसका पुत्र 6 महीने का हुआ वह बीमार रहने लगा जैसे जैसे उसकी उम्र बढ़ती गई वह और ज्यादा बीमार होता चला गया रतन ने उसको बहुत डॉक्टरों से उसका इलाज करवाया लेकिन उसके स्वास्थ्य में कोई सुधार नहीं हो रहा था जब उसकी आयु 5 साल की हुई तो उसकी हालत बहुत गंभीर हो गई और वह अपनी आखिरी सांसें गिनने लगा और यह सब देख रतन फूट-फूट कर रोने लगा और यह देखकर उसका पुत्र जोर-जोर से हंसने लगा अपने पुत्र को हंसता हुआ देखकर मदन घबरा गया और उसकी तरफ हैरानी से देखने लगा कि यह इतना बीमार होने के बाद भी मेरी तरफ देख कर क्यों हंस रहा है तो उसके पुत्र ने उसको पूछा कि मित्र क्या तुमने मुझे पहचाना मैं तुम्हारा वही मित्र हूं वही मदन हूं जो तुमने दूध में जहर देकर मार दिया था यह सुनकर रतन बहुत घबराया और उसने कहा कि जो तुमने मेरे हिस्से की संपत्ति मुझसे हड़प ली थी वह उसने कहा की वह सम्पति मैंने अपने चिकित्सा के माध्यम से लगवा दी है तो जो मेरे हिस्से की थोड़ी बहुत संपत्ति बची है वह मेरे मरने के बाद मेरे क्रिया कर्म पर लगा देना ऐसा कहकर उसने अपने प्राण त्याग दिए यह सब देखकर रतन जोर-जोर पर रोने लगा और पश्चाताप करने लगा और बार-बार हाथ जोड़कर रो-रोकर यही बोलने लगा कि मित्र मुझे माफ कर दो लेकिन आपको पता ही है बाद में पछताने से क्या होता है कुछ हासिल नहीं होता तो दोस्तों अपने बुरे कर्मों का फल हमें जरूर भोगना पड़ता है कहीं ना कहीं ऐसे कमाया हुआ पैसा निकल ही जाता है और ऐसे ही बहुत से एग्जांपल आप के आस पास होंगे दोस्तों हमें हमेशा अपने कमाया हुआ पैसा यह आजम होता है लोगों को धोखा देकर कमाया गया पैसा हमारे किसी काम का नहीं होता वह कहीं ना कहीं निकल ही जाता है और उसका परिणाम बहुत बुरा होता है और बाद में पछताने से कुछ फायदा नहीं मिलता तो दोस्तों कभी किसी का बुरा नहीं करना चाहिए और किसी के हिस्से का पैसा नहीं रखना चाहिए क्योकि उस परमपिता परमात्मा से कुछ नहीं छिपा होता

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