रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है जानिए अपनी 2 मिनट निकाल कर

रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है जानिए अपनी 2 मिनट निकाल कर

 हेलो दोस्तों आप सबको  रक्षाबंधन की शुभकामनाएं दोस्तों जैसे आपको पता ही है कि श्रावण मास की पूर्णिमा को रक्षाबंधन मनाया जाता है जब  हम इस त्योहार को मनाते हैं तो हमारे मन में यह सवाल जरूर आता है कि रक्षाबंधन मनाने का क्या कारण है क्यों रक्षाबंधन मनाया जाता है आज इससे जुडी एक  कहानी आपके सामने लेकर आए हैं  रक्षाबंधन क्यों और कब आरंभ हुआ इससे जुड़ी कुछ कहानियां है जो आज हम आपको इस लेख के  माध्यम से बताएंगे 
दोस्तों एक बार  राक्षसों के राजा  बलि ने एक110  यज्ञ पुरे  कर लिए थे जिससे सभी देवताओं को यह डर सताने लगा  कि कभी राजा बलि अपनी शक्तियों से स्वर्ग लोक पर अपना आक्रमण ना कर दे तो सभी देवता भगवान विष्णु के पास पहुंचे और भगवान विष्णु ने ब्राह्मण का वेश धारण करके राजा बलि से भिक्षा मांगी और राजा बलि ने भिक्षा में उसको तीन पग भूमि दान देने का वचन दिया तभी भगवान विष्णु ने एक पग में पूरी पृथ्वी को ले लिया और  दूसरे पग में स्वर्ग लोक जब वह तीसरा पग कहि और रखने की सोचने लगा तो यह देखकर राजा बलि चिंता में पड़ गया और उसने तीसरा पग अपने सर के ऊपर रखवा लिया  इसी प्रकार भगवान विष्णु ने राजा बलि से स्वर्ग और पृथ्वी पर रहने का अधिकार छीन लिया और बलि को रसातल में भेज दिया तभी बलि ने भगवान विष्णु की कठोर तपस्या की और अपनी भक्ति के बल पर भगवान विष्णु से यह वचन ले लिया कि वह हमेशा भगवान बली के पास रहेगा और उसका द्वारपाल बनकर उसके हमेशा पास रहेगा तो भगवान विष्णु राजा बलि के पास  रसातल में रहने लगा उसके बाद यह देखकर लक्ष्मी बहुत दुखी हो गई और परेशान हो गई तो नारायण जी ने उनको इस समस्या से बाहर निकलने का उपाय बताया उसने कहा कि तुम राजा बलि को जाकर अपना भाई बना लो और उसको राखी बांध दो बदले में उसे वचन ले लेना उस वचन में तुम अपने पति को वापस पा सकती हो  तभी लक्ष्मी जी  रसातल में गई और अपना भाई बनाकर राजा बलि से भगवान विष्णु को वापस स्वर्ग लोक में ले आई  और जिस दिन लक्ष्मी ने बली को राखी बांधी थी वह दिन श्रावण मास का पूर्णिमा का दिन था उसी दिन से यह त्यौहार मनाया जाने लगा 

 दूसरी कहानी
                      एक बार जब भगवान विष्णु ने शिशुपाल का वध किया जब चक्कर वापस आया तो उस चक्कर से भगवान विष्णु की उंगली कट गई और उंगली से खून बहने लगा तभी द्रोपती ने अपनी साड़ी का पल्लू फाड़ कर उससे उसको भगवान विष्णु की अंगुली पर बांध दिया तभी भगवान विष्णु ने उनको वचन दिया कि आज के बाद मैं तुम्हारी हर समय हर विपरीत परिस्थिति में रक्षा करूंगा दोस्तों उसके बाद भगवान विष्णु ने महाभारत में द्रोपती के चीर हरण के समय द्रौपदी की लाज बचाई और उनकी रक्षा की  तो दोस्तों उसके बाद यह त्यौहार इसी रूप में मनाया जाने लगा कि इस दिन एक भाई अपनी बहन को वचन देता है कि मैं हर समय तुम्हारी हर विपरीत परिस्थिति में रक्षा करुगा आशा करती हु दोस्तों की  आपको यह दोनों कहानी बहुत पसंद आई होंगी

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