रक्षाबंधन की भगवान से जुड़ी एक सच्ची कहानी इस बार 15 अगस्त को मनाए ये परम् त्यौहार
दोस्तों आप सब को तो पता ही है कि अगर हम सच्चे दिल से उस परमात्मा को याद करते हैं और उसे अपना मान लेते हैं अपना जीवन उसको अर्पण कर देते हैं और अपना सारा सुख दुख उसके साथ सांझा करते हैं तो वह हमारा बहुत साथ देता है दोस्तों इतना साथ देता है जितना हम कभी सोच भी नहीं सकते दोस्तों इंसान तो मतलबी होते हैं और वैसे भी अगर हम अपना कोई दुख किसी के साथ शेयर करते हैं तो कोई हमारा साथ नहीं देता दुख के समय तो सभी हमारा साथ छोड़ ही देते हैं सुख में सभी साथ होते हैं लेकिन जब दुख का समय आता है तो उस परमात्मा के अलावा हमारा कोई नहीं होता तो दोस्तों जब हम सुखी होते हैं तभी से परमात्मा को अपना जीवन अर्पण कर दो क्योंकि यह जीवन है कब यहां पर क्या हो जाए किसी को कुछ नहीं पता कब कोई राजा से भिखारी बन जाए और कब भीखारी से राजा ऐसा तो पता ही नहीं होता और दोस्तों कभी घमंड नहीं करना चाहिए कभी किसी की निंदा नहीं करनी चाहिए दोस्तों सभी को अपने कर्म का मिलता है कभी किसी का बुरा नहीं करना चाहिए यह बात बिल्कुल सच है तो दोस्तों अगर हमारे पास किसी चीज की कमी है या हमें कोई तकलीफ है कोई परेशानी है तो वह सभी परमात्मा के साथ शेयर करनी चाहिए हाथ जोड़कर उस परमपिता परमात्मा को 24 घंटों में से कुछ समय जरूर देना चाहिए जिसके हम बंदे हैं उसको तो हम भूल ही जाते हैं और इस धरती पर आकर अपने अपने कामों में खो जाते हैं कुछ पता नहीं होता कि क्या कर रहे हैं किसके लिए कर रहे हैं लेकिन दोस्तों यहां तो थोड़े ही दिन रहना है उसके बाद फिर हमें उसी आत्मा में मिल जाना है सभी आत्मा उस परमात्मा की आत्मा होती है तो दोस्तों हमें आंख बंद करके जिसे हम ध्यान कहते हैं मेडिटेशन कहते हैं उसमें उस भगवान को जरूर धन्यवाद देना चाहिए कि जो भगवान तूने मुझे दिया है उसके लिए धन्यवाद और आप हमेशा मेरे साथ रहिए अगर हम सच्चे हैं अच्छे सच्चे मार्ग पर चल रहे हैं अगर हमें कोई परेशान करता है या कोई हमारा दिल दुखाता है तो उस भगवान को याद करिए तो वह उसकी समस्या हो जाएगी आपकी नहीं वह खुद देखेगा कि मेरे भक्त को कोई परेशान कर रहा है तो उसकी समस्या का हल खुद निकाल देगा और उसको अपने आप सजा देगा तो दोस्तों आपको पता ही है रक्षाबंधन आने वाला है और सभी बहने अपने भाई से बहुत प्यार करती हैं सभी को रक्षाबंधन का बेसब्री से इंतजार होता है तो आज हम ऐसे ही एक कहानी की चर्चा करेंगे
एक बार दोस्तों दो बहन भाई होते हैं एक बहन और एक उसका भाई दोनों की मां और बाप बचपन में ही इस दुनिया में नहीं रहते वह मर जाते हैं इस दुनिया में नहीं रहते वह दोनों अपने मामा के घर रहने लगते हैं कुछ समय बाद उसकी मामी उनके साथ बहुत बुरा व्यवहार करती हैं और सारा दिन गाली गलौज करती हैं तो वह बहुत परेशान हो जाती हैं और एक दिन उसका भाई बोलता है कि बहन अब तो तू बड़ी हो जाएगी और तेरी शादी भी करनी पड़ेगी हमारे पास तो पैसे भी नहीं है और ना ही तू सारा दिन मामी का काम करती है और तक जाती है कब तक कब तक हम ऐसे ही काम करेंगे नौकरों की तरह काम करेंगे तो एक दिन वह अपनी बहन को यह बोलकर की बहन रक्षाबंधन पर वापस लौट जाऊंगा और शहर कमाने के लिए चला जाता है दोस्तों जैसे ही कुछ दिन बाद रक्षाबंधन आता है तो उसकी बहन अपने भाई का बेसब्री से इंतजार करती हैं और वह पाती है कि उसका भाई नहीं आता तो मैं बहुत परेशान हो जाती हैं और मंदिर के बाहर बैठकर रोने लगती हैं दोस्तों वह मंदिर गुरु गोरखनाथ का होता है और वह बाहर बैठकर ऐसे ही दिन भरतभी मंदिर का पुजारी बाहर आता है और देखता है कि वहां पर एक कन्या बैठी हुई रो रही है तो वह उससे पूछता है बेटी क्या बात है तू क्यों रो रही हो तो वह बताती है बाबा मेरा भाई मुझे यह बोल कर गया था कि मैं रक्षाबंधन पर वापस लौट जाऊंगा लेकिन वह अभी तक नहीं आया जिसके कारण मैं बहुत परेशान हूं तो पुजारी उसको बोलता है बेटी शायद तुम्हारा भाई कहीं व्यस्त होगा और काम में उसको याद नहीं रहा होगा तो तुम गुरु गोरखनाथ को अपना भाई मांग कर उसको राखी बांध दो वह तुम्हारी और तुम्हारे भाई की जरूरत सा करेगा वह बोलती है ठीक है बाबा और हो रक्षाबंधन के दिन गुरु गोरखनाथ को राखी बांध देती हैं और बोलती है भैया आप मेरे भैया हो मैंने आप को राखी बांधी है मेरी मदद करना और मेरा भाई क्यों नहीं आया मैं हर साल आपको राखी बांध दूंगी और मेरे भाई की रक्षा करना ऐसा बोलकर वह मंदिर से चली जाती है ऐसे ही गुरु गोरखनाथ यह देखकर बहुत परेशान होते हैं क्योंकि गुरु गोरखनाथ को पता होता है कि उसका भाई शहर में किसी दुर्घटना के कारण मूर्छित हो गया है और उसका आना संभव नहीं है जब तक वह ठीक नहीं होता तब तक वह नहीं आ सकता वह ऐसे ही हर साल गुरु गोरखनाथ को अपना भाई मान कर राखी बांधती है ऐसे ही दो-तीन साल निकल जाते हैं एक दिन वह गुरु गोरखनाथ को राखी बांधने जाती हैं जब वह राखी बांधकर वापस आती है तो उसकी मामी उसको पूछती है कि तुम कहां गई थी तो वह बताती हैं कि मामी मैं गुरु गोरखनाथ को राखी बांधने गई थी तो उसकी मामी उसको बहुत गुस्से से बोलती हैं कि उस मूर्ति को तुम क्यों राखी बांधने जाती हो अगर उसके अंदर इतनी शक्ति है तो उसने तेरे भाई को अब तक तेरे पास क्यों नहीं भेजा और उसको बहुत मारती पीटती हैं उसके बाद वह उसको बाहर कपड़े धोने के लिए भेज देती हैं जब वह कपड़े धोने के लिए जाती है तो वहां पर कुछ गुंडे आकर उसको परेशान करने लगते हैं तो वह बहुत डर जाती है और गुरु गोरखनाथ को याद करके उसके सामने हाथ जोड़कर रोने लगती है कि भैया मेरी सहायता करो तो गुरु गोरखनाथ यह देखकर बहुत परेशान हो जाते हैं और वह किसी और साधारण व्यक्ति का रूप धारण करके वहां आकर उसकी रक्षा करते हैं उसकी जान बचाता है तो वह लड़की उसको अपना भाई बोलती हैं और कहती हैं कि भैया शायद तुम्हें गुरु गोरखनाथ ने मेरी मदद करने के लिए भेजा है तभी वह वहां से गायब हो जाता है इसके बाद उसको जब भी कोई परेशानी होती है तो वह गुरु गोरखनाथ को याद करती है और उसकी परेशानी उसी टाइम खत्म हो जाती है यह देखकर उसकी मामी उसके ऊपर और अत्याचार करने लगती हैं और सोचती है कि यह कैसा जादू कर रही है तो 1 दिन वह पंडित को बुलाती है और बोलती है कि कोई ऐसा लड़का ढूंढो जो इसको बहुत परेशान करें और बदले में मुझे धन दौलत मिल जाए पंडित उसे बताता है कि हां एक है वह बहुत अमीर है वह इसके साथ शादी कर लेगा और बदले में तुम्हें बहुत धन देगा बस उसकी उम्र 60 साल है तो उसकी मामी उसकी शादी उससे उसे कराने के लिए तैयार हो जाती है और बोलती है कि जल्दी से इसकी शादी उस सेठ के साथ करवा दो जिससे मेरा भी पीछा छूट जाएगा और मुझे धन भी मिल जाएगा यह सब वह लड़की सुन लेती है और यह सुनकर बहुत दुखी होती हैं वह अगले दिन घर छोड़कर चली जाती है और वही जंगल में भटकने लगती हैं तभी अगले दिन रक्षाबंधन होता है और वह अपनी चुन्नी से एक धागा निकाल लेती है और अपनी उंगली काट कर तिलक के लिए अपना खून निकाल देती है और गुरु गोरखनाथ से प्रार्थना करते हैं कि हे प्रभु मेरे भाई को प्लीज मेरी हेल्प के लिए भेज दो जिससे मैं उसको राखी बांध सकू और मैं मरने से पहले उसका मुंह देख सकू यह देख कर गुरु गोरखनाथ बहुत परेशान हो जाते हैं और उसकी सहायता करने के लिए उसके भाई को उसके पास भेज देते हैं और वहां उसके भाई को रास्ते में एक गुरु गोरखनाथ सेठ बनकर मिलता है और उसके भाई को बहुत सारे पैसे दे देता है और कुछ पैसे जो उसने पहले इकट्ठे किए हुए थे वह सभी लेकर वहां आ जाता है तभी वह घर आकर देखता है कि घर पर उसकी बहन नहीं है वह अपने मामा से उसकी बहन के बारे में पूछता है तो उसका मामा कहता है कि वह घर छोड़कर चली गई है वह मामा और भांजा दोनों उसको जंगल में ढूंढते हैं बहुत ढूढ़ने के बाद वह मिल जाती है और दोनों भाई बहन खुश होकर एक दूसरे के गले मिलते है तो दोस्तो यह थी वह कहानी जब हम सच्चे दिल से उस भगवान को अपने भाई के रूप में अपनी बहन के रूप में अपनी मा के रूप में के रूप में स्वीकार करते हैं तो वो हमेशा हमारा साथ देता है
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